Here is a variation dedicated to all daru bazz!
मैं कभी बतलाता नहीं
बार मैं डेली जाता हूँ मैं माँ ...
यूँ तो मैं, दिखलाता नहीं
दारू पीकर रोज़ आता हूँ मैं माँ ....
तुझे सब है पता, हैं न माँ ...
तुझे सब है पता, मेरी माँ ...
ठेके पे यूँ न छोडो मुझे ,
घर लौट के भी आ ना पाऊँ मैं माँ ...
पौवा लेने भेज न इतना दूर मुज्को तू ,
घर भी भूल जाऊँ मैं माँ ...
क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ ...
क्या इतना बुरा... मेरी माँ ..
दारू मैं इतना पीता नहीं,
पर मैं सहम जाता हूँ माँ
चेहरे पे आने देता नहीं
लेकिन मैं लुडक जाता हूँ माँ
तुझे सब है पता ..है ना माँ
तुझे सब है पता, मेरी माँ